उस दिन के बाद, नैना और आरव के बीच एक अलग ही जुड़ाव बन चुका था। वे अब अक्सर एक-दूसरे के घर पर मिलने लगे। कभी खाना बनाते, कभी कोई फिल्म देखते हुए एक-दूसरे के कंधे पर सिर रख कर सो जाते। उन छोटी-छोटी बातों में जो अपनापन था, वही उन्हें असली रिश्ते की तरफ ले जा रहा था।
एक रात, नैना आरव के घर आई। बारिश फिर से हो रही थी — जैसे आसमान को भी उनके बीच की chemistry का अंदाज़ा हो गया हो। नैना ने हल्की सी काली ड्रेस पहन रखी थी, और उसके बाल खुले हुए थे। उसका चेहरा बारिश की ठंडी हवा से गुलाबी हो गया था।
आरव ने दरवाज़ा खोला, तो बस कुछ पल वो उसे देखता ही रह गया।
"इतना घूर क्यों रहे हो?" नैना मुस्कुरा कर बोली।
"क्योंकि तुम आज कुछ ज़्यादा ही ख़ूबसूरत लग रही हो..." आरव ने धीमे से कहा, और नैना का हाथ पकड़ कर उसे अंदर ले गया।
कमरे में धीमी रौशनी थी, और बैकग्राउंड में एक सॉफ्ट रोमांटिक म्यूज़िक बज रहा था। नैना ने खिड़की के पास खड़े होकर बाहर देखा — फिर मुड़ी और बोली, "तुम्हारे साथ ये बारिश... मुझे डराती नहीं अब।"
आरव उसके पास आया और धीरे से उसकी कमर में हाथ डाल कर उसे अपनी ओर खींच लिया।
"मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा... हर बारिश में, हर तूफ़ान में।"
उनके बीच की नज़दीकियाँ अब रुकने को तैयार नहीं थीं। आरव ने धीरे-धीरे नैना के गाल पर हाथ रखा, उसकी आँखों में देखा, और एक लंबा, गहरा चुंबन दिया। नैना ने उसकी बाँहों को थाम लिया, जैसे उसके भीतर समा जाना चाहती हो।
वो चुंबन अब गर्दन तक उतरने लगा, और नैना की साँसें तेज़ होने लगीं। उसने भी आरव की शर्ट के बटन खोलने शुरू किए, और उसकी छाती से अपना चेहरा टिकाकर हल्की सी मुस्कान दी — "तुम्हारी धड़कनें तेज़ हो रही हैं।"
"क्योंकि तुम पास हो," आरव ने धीमे से कहा।
धीरे-धीरे उनके कपड़े उतरे, लेकिन किसी जल्दबाज़ी के साथ नहीं — जैसे हर परत के साथ वो एक-दूसरे की आत्मा को महसूस कर रहे हों। बिस्तर पर लेटते हुए, आरव ने नैना की आँखों में फिर देखा — "अगर कभी भी कुछ असहज लगे, तो मुझे रोक देना।"
नैना ने उसका चेहरा अपने हाथों में लिया और बोली, "तुम्हारे साथ, सब कुछ सही लगता है।"
उनके शरीर अब लिपट चुके थे, साँसों की गर्मी, दिलों की धड़कनें, और स्पर्श की गहराई ने उन्हें एक नई दुनिया में पहुँचा दिया। वो पूरी रात एक-दूसरे को सिर्फ महसूस करते रहे — कोई शब्द नहीं, बस स्पर्श, गहराई, और अपनापन।
सुबह की पहली किरण जब नैना के चेहरे पर पड़ी, तो आरव ने उसे चूमते हुए कहा,
"आज भी बारिश होगी… लेकिन अब मैं डरता नहीं।"
नैना ने आँखें खोलते हुए मुस्कराकर जवाब दिया,
"क्योंकि अब हम एक-दूसरे की छत हैं…"