बरसात की वो शाम – भाग 6: वो अधूरा हिस्सा

विवेक के जाने के बाद नैना को लगा सब कुछ खत्म हो गया है।
पर जैसे-जैसे दिन बीते, वो बार-बार खुद से सवाल करने लगी:
"क्या वाकई मैंने उस पुराने अध्याय को पूरी तरह बंद किया था?"

आरव अब भी वैसे ही था — स्थिर, सच्चा, समर्पित।
लेकिन नैना के भीतर एक बेचैनी पनप रही थी — जो अतीत के एक स्पर्श से फिर से ज़िंदा हो गई थी।

एक दिन विवेक का मैसेज आया:

“मैं तुम्हारे जवाब का आदर करता हूँ। लेकिन तुमसे कुछ बातें अधूरी रह गईं… अगर चाहो तो आखिरी बार मिल सकते हैं।”

नैना ने बहुत सोचकर ‘हाँ’ कहा।
उसने आरव से ये बात नहीं बताई।

कैफे में मुलाक़ात:

विवेक बदला हुआ था — उसकी बातों में अब कोई घमंड नहीं था, सिर्फ़ अफ़सोस था।
उसने कहा,
"तुम जानती हो, नैना… जब हम साथ थे, मैं तुम्हें देखता तो लगता था कि तुम बहुत आगे निकल जाओगी मुझसे… इसलिए मैं पीछे हटता गया।"

नैना की आँखें नम थीं।
"तुमने मुझे अकेला छोड़ दिया था... तब जब मैं सबसे ज़्यादा खुद से उलझी हुई थी।"

वो बातें करते रहे — और पुराने दिनों की कुछ यादें, कुछ छूटे हुए लम्हे, फिर से ज़िंदा होने लगे।

कुछ दिन बाद...

विवेक ने नैना को एक पेंटिंग एग्ज़िबिशन के लिए बुलाया — अकेले में।

वो झिझकी… फिर चली गई।

एग्ज़िबिशन के बाद विवेक नैना को अपने होटल के रूम पर चलने को कहा, नैना खुद को रोक न सकी और यही उसकी सबसे बड़ी भूल थी।
बारिश की बूंदें लगातार गिर रही थीं, जैसे धरती पर आसमान का दर्द बरस रहा हो। नैना के दिल में भी तूफ़ान मचा हुआ था।

विवेक अपने रूम में आया, उसने अपने रूम का दरवाजा खोला तो अँधेरा था, उसने नैना को अंदर आने को कहा, नैना थोड़ा ठहरी पर फिर अंदर चली गयी। विवेक ने रूम की लाइट ऑन की तो नैना की आँखें खुली की खुली रह गयी। विवेक ने पुरे रूम को किसी सुहागरात की सेज की तरह सजा रखा था। चारों तरफ गुलाब की पंखुड़ियां, बिखरी थी।

नैना समझ गयी थी की विवेक के मन में क्या चल रहा था लेकिन वो मानों पत्थर की मूर्ति बन गयी थी। विवेक ने नैना का हाथ पकड़ कर, उससे माफ़ी मांगी और उसे बेड पर बिठाया और फिर ड्रिंक बनाने लगा।

विवेक के साथ उस रात

विवेक ने धीरे से नैना के गालों को छुआ, उसकी आँखों में वही चाहत देखी जो पहले कभी महसूस नहीं हुई थी।
उनके शरीरों की गर्माहट बारिश की ठंडी बूंदों से बिल्कुल उलट थी — तीव्र, आवेगपूर्ण, और बेइंतहा।
आरव के लिए नैना के दिल में जो प्यार था, वह भी उस पल कहीं छुपा था, लेकिन विवेक के साथ उस एक रात में उसने अपनी सारी हदें पार कर दीं।

नैना को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या कर रही थी और वो उस कमरे से बाहर क्यों नहीं जा पा रही थी। विवेक ने ड्रिंक बनाकर नैना को दी और खुद भी बैठकर साथ में पीने लगा। नैना ने एक घूँट पी और ग्लास साइड में रख दी। उसे अब अंदाजा हो गया था कि वो अब चुदने वाली है।

विवेक ने ड्रिंक कम्पलीट की और नैना के बालों में हाथ फेरने लगा। धीरे-धीरे उसने नैना के होठों को चूमना शुरू कर दिया। नैना जैसे मोम की बनी गुड़िया की तरह बैठी रही, उसे समझ नहीं आ रहा था की वो विरोध करना चाहती थी या नहीं। क्योंकि यही एक चीज़ थी जो न मिलने की वजह से उसने विवेक हो छोड़ा था।

नैना अभी ये सब सोच ही रही थी की विवेक ने नैना को बेड पर लेटा कर उसकी पैंटी उतार दी और नीचे झुक कर उसकी चूत चाटने लगा। नैना भी आहें भरने लगी, कुछ पल के लिए वो सबकुछ भूल गयी। थोड़ी देर में ही नैना एकदम पानी से निकली मछली की तरह तड़पने लगी। उसकी चूत भी गीली हो गयी थी जैसे कह रही हो की अब लंड डाल ही दो।

विवेक भी भांप गया की नैना अब उसके वश में है और उसने उठकर सीधा उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया। नैना एक आह भरी और फिर उसको भी मजा आने लगा। दोनों ने लगभग 20 तक चुदाई करी फिर अचानक से नैना मानों होश में आ गयी और वो कुछ बोल पाती की तभी विवेक नैना की चूत को रगड़ने लगा और फिर नैना को उठाकर उसके मुँह में लंड डाल दिया। नैना मूर्ति की तरह बैठी रही और विवेक अपना लंड नैना के मुँह में अंदर बाहर करता रहा।

नैना बिना कुछ बोले विवेक के लंड को 5 मिनट तक चूसती रही। फिर विवेक ने उसे उठाया और उसकी दोनों चूची दबाने लगा। नैना भी बिना कुछ बोले अपना चूची दबवा रही थी जैसे उसे भी मजा आ रहा हो और एक हाथ से विवेक के लंड को हलके हाथों से सहला रही थी।

विवेक से मिली उस रात की गर्माहट उसके पूरे अस्तित्व को हिला रही थी।
वह जानती थी कि यह गलत है, पर दिल के कुछ अरमानों को दबाना नामुमकिन था।

विवेक के साथ उसका मिलन न केवल शारीरिक था, बल्कि एक पल के लिए वह अपने दर्द और अकेलेपन से भी भाग रही थी। उनकी छुअनें, उनकी बातें, और वह सहजता, जो आरव के साथ शायद अब कम हो गई थी, नैना को फिर से जिंदा महसूस करा रही थीं।

सुबह…

नैना उठी और आईने में खुद को देखा — न कोई खुशी, न कोई संतोष।

"मैंने क्या किया?"
उसका मन कांप उठा। उसको विश्वास नहीं हो रहा था कि रात में वो विवेक से चुद रही थी। नैना मन ही मन खुद को कोसने लगी और डरने भी लगी की अगर आरव को पता चलेगा तो वो क्या सोचेगा।

आरव की तस्वीर, जो उसकी गैलरी में थी, अचानक उसे जैसे देख रही हो।

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