हेलो दोस्तों मेरा नाम सलोनी है, मैं कभी-कभी सोचती हूँ — क्या अकेलापन कोई सज़ा है, या बस एक दौर?
24 की उम्र में सब कुछ था — नौकरी, दोस्त, इंडिपेंडेंस… लेकिन दिल के किसी कोने में कुछ हमेशा अधूरा था।
मैं बहुत खूबसूरत हूँ, मेरी छाती 34 इंच है, कमर 30 इंच है, रंग गोरा, बड़ी-बड़ी चूची, और लंड की प्यासी गुलाबी चूत।
मैं अब ऊँगली डाल-डाल कर थक गयी थी और मुझे उसमे कोई मजा नहीं आता था।
लेकिन मैं एक इंट्रोवर्ट हूँ और मुझे लोगों से आमने-सामने बात करना पसंद नहीं और ऑफिस के बाद सीधा घर चली आती हूँ इस वजह से आजतक मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है।
एक दिन मैं देर रात तक sexykahani.com पर, सेक्स कहानी पढ़ रही थी, रात के 11 बज रहे थे।
सिलेंट फोन स्क्रीन पर एक नया नोटिफिकेशन आया —
“Nishant sent you a message.”
मैंने बेमन से चैट खोली।
निशांत: “Hi. Sorry for the random ping, but your profile felt peaceful. Thoda अलग सा। कोई शोर नहीं… अच्छा लगा पढ़कर।”
शुरुआत अजीब थी, लेकिन अजीब अच्छी लगी।
मैंने जवाब दे दिया —
“शुक्रिया। आजकल कम ही लोग शांति को notice करते हैं।”
बस यहीं से बातें शुरू हुईं।
हल्की, सतही… फिर थोड़ी गहरी।
दो दिन बाद ही उसने कहा —
“तुमसे बात करके अच्छा लगता है। Comfortable. जैसे बिना कुछ कहे भी कुछ समझ में आ रहा हो।”
मैं मुस्कुराई —
“शायद क्योंकि हम दोनों थके हुए हैं… पर फिर भी connection ढूंढ रहे हैं।”
उसे जानना आसान था — और यही मुझे थोड़ा डराने भी लगा था।
एक हफ्ता बीत गया। हम रोज़ बात करते थे — सुबह की गुड मॉर्निंग से लेकर देर रात की खामोश चैट्स तक।
उसकी बातें साफ थीं, mature थीं… पर कहीं न कहीं उदास भी।
फिर एक शाम उसने थोड़ी देर के बाद मैसेज किया —
“मुझे कुछ कहना है, लेकिन शायद तुम मुझसे बात करना बंद कर दो उसके बाद।”
मैं कुछ सेकंड रुकी, फिर लिखा —
“कहो।”
“मैं शादीशुदा हूँ। पाँच साल हो गए। हम दोनों साथ तो हैं, पर जैसे दो अजनबी एक घर में रहते हैं। कोई लड़ाई नहीं… पर कोई बात भी नहीं। वो एक अच्छी इंसान है, पर अब हम एक-दूसरे के लिए ‘कुछ’ नहीं हैं।”
मैं बहुत देर तक कुछ नहीं लिख पाई।
फोन हाथ में था, आँखें छत पर।
क्या ये वही इंसान था जिससे मैं इतने दिन से जुड़ रही थी?
क्या ये वही इंसान था जिससे मिलने का मन कर रहा था?
और फिर मैंने खुद से पूछा —
क्या मैंने कभी उससे उसकी वैवाहिक स्थिति पूछी थी? नहीं।
मैं भी तो उससे भाग रही थी… सवालों से… हकीकत से।
मैंने धीरे से लिखा —
“मैं तुमसे नाराज़ नहीं हूँ, लेकिन अब मुझे थोड़ा सोचने की ज़रूरत है।”
वो समझदार था।
“ले लो वक़्त। मैं यहीं हूँ। कोई जल्दबाज़ी नहीं।”
और मैं सोचती रही।
क्या एक शादीशुदा मर्द से जुड़ना सही होगा?
या सिर्फ़ उसकी बातों में जो सुकून है, वो सच्चा है?
कुछ दिनों तक हम कम बात करने लगे। पर दिल उतनी ही बेचैनी से उसे ढूंढता था।
फिर एक दिन मैंने खुद मैसेज किया —
“चलो मिलते हैं। कहीं किसी कॉफ़ी शॉप में… एक बार आमने-सामने बात करें?”
“कैफ़े बहुत भीड़ भरा होता है।”
निशांत ने लिखा था।
“तो कहाँ?” मैंने पूछा।
“मेरे एक पुराने दोस्त का फ्लैट खाली है। वो बाहर है कुछ दिनों के लिए। एकदम शांत जगह है… कोई शोर नहीं। अगर तुम सहज हो, तो वहाँ मिलते हैं।”
मैंने कुछ देर तक जवाब नहीं दिया।
कोई दबाव नहीं था, लेकिन मेरा मन खुद ही तैयार हो चुका था।
“ठीक है,” मैंने लिखा।
वो फ्लैट शहर की भीड़ से थोड़ा दूर था — चुप, धूप से भरा हुआ, और कुछ-कुछ अधूरा सा।
जैसे वो हमारे लिए ही बना हो।
मैं जब पहुँची, दरवाज़ा खुला और निशांत सामने था।
उसकी आँखों में नज़ाकत थी — और थोड़ी सी बेचैनी भी।
“अंदर आ जाओ,” उसने हल्के से कहा।
मैं अंदर आई, और उसने दरवाज़ा धीरे से बंद कर दिया।
कुछ पल तक हम सिर्फ़ एक-दूसरे को देखते रहे।
उसकी आँखों में जैसे कोई भूखा मौसम था… और मेरी साँसों में एक लंबा इंतज़ार।
“तुम… सच में आई हो,” वो धीरे से बोला।
मैं मुस्कुराई, “और तुम सच में अकेले हो?”
उसने मेरे पास आकर मेरे चेहरे को देखा — ध्यान से, जैसे कोई शब्दों से पहले मेरी आँखें पढ़ रहा हो।
“तुम बहुत खूबसूरत हो, सलोनी…”
उसके हाथ ने मेरा गाल छुआ — हल्के से, जैसे वो यकीन कर रहा हो कि मैं सपना नहीं हूँ।
मैंने खुद को पीछे नहीं खींचा।
उसने मेरे बालों को कान के पीछे किया, और उस स्पर्श में ऐसा सुकून था, जैसे किसी पुराने ख़त की स्याही छू ली हो।
हम दोनों के बीच अब कोई संकोच नहीं था — बस एक धीमी, गर्म होती चाह थी जो हर सांस के साथ गहरी हो रही थी।
वो धीरे से झुका —
“अगर मैं तुम्हें चूमूं… तो?”
मैंने कोई जवाब नहीं दिया, बस आँखें बंद कर लीं।
उसके होंठ मेरे होंठों से मिले — पहले बेहद हल्के से, फिर धीरे-धीरे, वो चुंबन गहराया — धीमा, पर भावनाओं से भीगा हुआ।
उसने मुझे अपने करीब खींचा, और मैं खुद को उसके सीने से लगते महसूस कर रही थी।
उसके हाथ मेरी कमर पर थे, मेरे उंगलियाँ उसकी गर्दन में उलझ रही थीं।
हमने कुछ नहीं कहा।
उसने मुझे अपनी बाहों में उठाया और धीमे कदमों से बैडरूम की ओर ले गया।
बिस्तर पर बैठते हुए मैं उसकी आँखों में देख रही थी
उसने मेरी उंगलियाँ चूमी, मेरी गर्दन को नर्म लम्हों में भर दिया।
उस दिन मैं सफ़ेद रंग की शॉर्ट ड्रेस पहनी थी और मैंने जानबूझकर ब्रा नहीं पहना था जिसकी वजह से मेरे दूध और ज्यादा बड़े दिख रहे थे।
उसने बेड पर लिटाकर मेरी पैंटी उतार दी, मैं भी मन ही मन खुश हो रही थी कि आखिरकार मेरी वर्षों की चुदने की और सील टूटने की तमन्ना आज पूरी हो जाएगी।
पैंटी उतार कर वो पहले अपने हाथ से धीरे से सहलाया और फिर मेरी फुद्दी चूसने लगा। मैं तो जैसे स्वर्ग ही में पहुँच गयी। आजतक मैंने इतनी बार अपनी चूत में उँगलियाँ और खीरे और पता नहीं क्या-क्या डाली थी लेकिन जो मजा निशांत ने अपने जीभ से दिया वो किसी और चीज़ से आजतक नहीं मिली।
निशांत मेरी चूत को ऐसे चाट रहा था जैसे वो हाफुस आम चूस रहा हो। उसने अपनी जीभ जब मेरी चूत के छेद में डाली तो जैसे मेरी कमर अपने आप उठ गयी और उसके पूरी जीभ को मैं अपनी चूत में समा लेना चाहती थी।
यह देख कर निशांत समझ गया कि यह मादा अब सम्भोग के लिए पूरी तरह तैयार है।
उसने उठकर अपना 8 इंच का लम्बा मोटा लंड निकाला। मैं उसका लंड देखकर हैरान हो गयी, और बोली क्या ये पूरा मेरे अंदर डाल दोगे निशांत?
निशांत मुस्कुराया, और बोला चिंता मत करो तुम्हें मजा ही आएगा।
उसने जैसे ही अपना लंड मेरे चूत के पास लाया, मेरी चूत फड़फड़ाने लगी और उसने अभी 2 इंच ही अंदर डाली थी कि मैं चीख उठी, निशांत दर्द हो रहा है निकाल लो प्लीज।
“थोड़ा सा दर्द होगा ये सह लो तो फिर मजा आएगा”, निशांत ने यह कहकर मेरे होंठो को चूमने लगा।
मैं चुप हो गयी, उसने धीरे-धीरे अपने लंड को चूत पर रगड़ा तो मेरी चूत से पानी निकलने लगा, और जैसे ही पानी निकला, उसने अपना पूरा 8 इंच का लंड मेरी चूत में डाल दी।
एक सेकंड के लिए तो मुझे लगा जैसे मेरी चूत फट गयी, लेकिन फिर धीरे-धीरे मजा आने लगा।
उसने मेरी आँखों में देखकर पूछा, “मजा आ रहा है?”
मेरी आँखें एकदम नशे सी चढ़ गयी थी और मैं “आह! ओह माय गॉड! ऊँह!” कर रही थी।
मैं थोड़ा शरमाते हुए, हामी भरी।
“देखी! बोला था न, मजा आएगा”, वो गर्व से बोला।
चुदते-चुदते मेरी चूत ने इतना पानी छोड़ा, कि उसका लंड लग रहा था जैसे बटर पर चाकू चल रहा हो, एकदम स्मूथ।
अचानक से उसने जोर से चोदना शुरू कर दिया।
मैं अचानक से अकचका गयी लेकिन और जोर से चीखी “आह! चूत फाड़ डालोगे क्या?”
फिर मैं भी उसका मजा लेने लगी। उसने पुरे आधा घंटा तक ऐसे ही कभी धीरे कभी जोर से चोदता रहा।
फिर उसने कहा, “लंड चखना चाहोगी”?
मुझे समझ नहीं आया, मैंने अकचका कर पूछी “मतलब?”
“मतलब समझ जाएगी, पहले बताओ न चखोगी?”, उसने कहा।
मैं ने चुदते हुए बोला “ ठीक है, चखाओ।”
उसने मेरी चूत से लंड निकाली और सीधा मेरे मुँह में डाल दी।
मैं भी समझ गयी, लंड चखने से उसका क्या मतलब था।
लेकिन शुरू में उसने मेरी चूत चाटकर जो मजा दिया था, इसलिए मैं भी अच्छे से से उसका लंड चूसी।
वो खुश हो गया और उसने एक बार फिर 5 मिनट तक चोदा। मेरी गर्मी निकल गयी थी और वो भी अब ठंडा पड़ गया था।
उसके लंड ने पिचकारी छोड़ दी थी। वो देखकर मुझे बड़ा मजा आया। मैंने पहली बार किसी के लंड से पिचकारी निकलते देखा था।
फिर हम दोनों नंगे ही एक दूसरे में लिपटकर सो गए।
सुबह उठी तो निशांत अभी सो ही रहा था। उसका लंड अभी भी खड़ा था।
मैंने उसके लंड को हाथ में लिया और सहलाने लगी तो उसकी नींद खुल गयी।
मैंने पूछा, “ये रात भर खड़ा ही था क्या?”
“ नहीं! ये हर दिन सुबह में खड़ा हो ही जाता है और ये हर लड़का के साथ होता है।”
ये बोलकर, वो मेरी चूत सहलाने लगा।
मैं मुस्कुरा कर बोली, “ले लो मन है तो”
वो बोला, “नहीं तुम फ्रेश हो लो फिर दोनों निकल जायेंगे”।
मैं वाशरूम गयी लेकिन दरवाजा नहीं लगाया, और मैं जब नहा रही थी तब वो भी आ गया।
जैसे ही निशांत आया, मुझे पता नहीं क्या हुआ, मैंने उसको चूमना शुरू कर दिया।
वो भी जोश में आ गया, शॉवर चल रहा था और उसने मुझे दिवार से टिकाकर 10 मिनट तक चोदता रहा।
मैंने तंज कशते हुए कहा, “अभी तो पूछी तो बोले नहीं!”
“तुम हो ही इतनी हॉट ऊपर से भीगी हुई में और ज्यादा हॉट हो गयी हो” वो मुस्कुरा कर बोला।
पुरे 2 घंटे तक हमलोग साथ में नहाते रहे।
कभी वो मुझे चोदता, कभी चूत चाटता, कभी मुझसे अपना लंड चुसवाता तो कभी खुद मेरी चूची चुस्ता।
2 घंटे बाद हमलोग बाथरूम से निकले तो दोनों थके हुए थे और अपना-अपना कपडा पहनकर, अपने-अपने घर चले आए।