कमरा अब पूरी तरह ख़ामोश था, बस बाहर बारिश की रिमझिम और उनके दिलों की धड़कनों की आवाज़ थी।
नैना ने धीरे से आरव की उँगलियों को अपने होठों पर रखा और कहा,
"मुझे तुम्हारा हर छूना महसूस करना है… लेकिन जल्दबाज़ी नहीं, बस ठहराव चाहिए…"
आरव ने उसकी बात सुनी — नज़रों से, सांसों से।
वो अब बिस्तर के पास खड़े थे। नैना ने उसकी शर्ट के कॉलर को पकड़ कर धीरे से अपनी ओर खींचा। दोनों की साँसें पास आ चुकी थीं — गर्म और बेचैन।
उसने आरव की शर्ट के बटन एक-एक करके खोले, और हर बार जब उसकी उंगलियाँ उसकी त्वचा से छूतीं, तो एक हल्की-सी थरथराहट दौड़ जाती।
आरव ने उसकी आँखों में देखा और बोला,
"मैं तुम्हें छूना नहीं चाहता… मैं तुम्हारे अंदर बस जाना चाहता हूँ — वैसे नहीं जैसे देह में कोई समा जाए, बल्कि जैसे कोई किसी की आत्मा को ओढ़ ले…"
नैना की आँखें भर आईं। ये शब्द नहीं थे — ये एक वादा था।
वो बिस्तर पर लेटी, और आरव उसके ऊपर झुक गया।
उसने उसके गले को चूमा, और फिर उसकी कंधों की हड्डी पर — हर स्पर्श एक कविता की तरह था। उसकी साँसें नैना की त्वचा पर फिसल रही थीं, और उसके होठ उसके शरीर की भावनाओं को पढ़ रहे थे।
नैना ने खुद को उसकी बाँहों में समर्पित कर दिया।
जब आरव ने उसकी ब्लाउज की डोरी खोलनी शुरू की, तो नैना ने उसकी उंगलियाँ पकड़ लीं और कहा,
"तुम मुझे इस तरह देख रहे हो… जैसे मैं तुम्हारा सपना हूँ।"
आरव ने कहा, "नहीं… तुम मेरी हकीकत हो, जो सपना भी बन गई है।"
नैना की देह अब खुल रही थी — सिर्फ कपड़ों से नहीं, बल्कि अपने हर डर, हर असुरक्षा, हर उलझन से।
आरव ने उसके चूची पर हाथ रखा — बहुत धीरे, जैसे कोई कारीगर अपनी बनाई मूर्ति को तराश रहा हो।
उसकी उंगलियों ने लकीरों को महसूस किया, उसकी साँसों ने ताप को पी लिया।
उनके शरीर अब लिपटे हुए थे, आरव की लंड और नैना की चूत मानों एक साथ मिलकर ताल से ताल मिलाकर संगीत गुनगुना रहे हों। नैना और आरव एक दूसरे की आँखों में देख रहे रहे थे। नैना भी संतुष्ट थी क्योंकि बहुत समय के बाद किसी ने उसको इतनी अच्छी तरह से चोदा था। नैना की आँखें एकदम नशीली हो गयी थी और जैसे जैसे आरव चोद रहा था वैसे वैसे नैना और अधिक ऑर्गज्म महसूस कर रही थी। धीरे-धीरे नैना इतनी उतावली हो गयी जैसे वो आरव को अपनी चूत में घुसा लेना चाहती हो।
करीब 10 मिनट तक चोदने के बाद आरव ने नैना की चूत से अपना लंड निकला लेकिन नैना अभी संतुष्ट नहीं थी। वो अभी और चुदना चाहती थी।
आरव ने नैना को घोड़ी बनने हो कहा, नैना तुरंत घोड़ी बन गयी। आरव ने धीरे से पूछा, मैं तुम्हारी गांड मारना चाहता हूँ। नैना थोड़ी झिझकी लेकिन फिर तैयार हो गयी। आरव ने अपने लंड पर तेल लगाकर नैना की गांड में धीरे-धीरे डालने लगा। नैना, अपनी आवाज को दबाते हुए दर्द से सिसक रही थी। आरव ने पूछा - ज्यादा दर्द तो नहीं हो रहा? तो नैना ने नहीं में सर हिलाते हुए कहा, तुम्हारे लिए कुछ भी सह सकती हूँ।
उनकी गति एक लय में थी — जैसे कोई संगीत बज रहा हो जो बाहर नहीं, भीतर गूंज रहा था।
हर पल के साथ वे और गहरे जाते गए — एक-दूसरे में।
आधा घंटा गांड मरने के बाद, आरव अब थक चुका था और नैना की गर्मी भी शांत पड़ गयी थी। आरव ने अपना लंड नैना की गांड से निकला और नैना भी उठ गयी। दोनों इस तरह हांफ रहे थे मानों अभी-अभी रेस में दौड़कर आ रहे हों।
दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा और मुस्कुराये।
नैना आरव के सीने पर सिर रखकर फुसफुसाई,
"क्या ये पहली बार है, जब किसी ने मुझे सिर्फ औरत नहीं, एक पूरी दुनिया समझा?"
आरव ने उसके बालों में उंगलियाँ फिराते हुए कहा,
"तुम मेरे लिए सिर्फ देह नहीं हो, नैना… तुम वो जगह हो जहाँ मैं लौटना चाहता हूँ — हर शाम, हर जन्म।"