कहानी: “बरसात की वो शाम” भाग- 1

मुंबई की बारिश हमेशा कुछ न कुछ जज़्बात ले कर आती है। आरव, एक 30 वर्षीय आर्किटेक्ट, उस दिन ऑफिस से जल्दी निकल गया था। मौसम कुछ खास था — बादलों की गड़गड़ाहट, सड़क पर पानी की हल्की परत, और हवा में घुली मिट्टी की खुशबू। वो सीधा कार से बांद्रा के एक पुराने कैफ़े की तरफ गया, जहाँ नैना उसका इंतज़ार कर रही थी।

नैना, 28 साल की एक इंटीरियर डिज़ाइनर, देखने में बहुत ही सुन्दर, गोरा रंग, कसा हुआ शरीर, सुडौल छाती, घने बाल, बड़ी आँखें कुछ महीने पहले ही दिल्ली से मुंबई आई थी। उनकी मुलाक़ात एक प्रोजेक्ट पर हुई थी, और काम के बहाने शुरू हुई बातचीत अब हफ्तों की मुलाक़ातों और रातों की लंबी कॉल्स तक पहुँच गई थी।

कैफ़े में बैठते ही नैना ने हल्की मुस्कान के साथ कहा,
"इतनी बारिश में भी टाइम पे आ गए?"

आरव ने जवाब दिया, "तुमसे मिलने के लिए बारिश क्या, तूफ़ान भी झेल सकता हूँ।"

वो दोनों कॉफ़ी पीते हुए खिड़की के बाहर की बारिश को देखते रहे। धीरे-धीरे बातें गहराने लगीं — सपनों की, डर की, अधूरी कहानियों की। नैना की उंगलियाँ आरव के हाथों से खेलती रहीं, जैसे शब्दों के बिना भी कुछ कहना चाहती हो।

शाम ढलते-ढलते दोनों आरव के अपार्टमेंट की ओर निकल पड़े। बारिश अब हल्की हो चली थी। जब वो अपार्टमेंट पहुँचे, नैना की साड़ी हल्की सी भीग चुकी थी — उसके गीले बालों से टपकती बूँदें उसकी आँखों की गहराई को और भी चमका रही थीं।

आरव ने धीरे से नैना का हाथ थामा और कहा,
"अगर आज की रात सिर्फ तुम्हारे साथ बीत जाए... तो शायद ज़िंदगी थोड़ी और खूबसूरत लगने लगे।"

नैना ने कुछ नहीं कहा, बस उसकी आँखों में देखती रही। उस एक नज़र में सैकड़ों इज़हार थे। कमरे की रौशनी हल्की थी, खिड़की के बाहर अब भी बारिश हो रही थी, और उनके बीच वो दूरी मिट चुकी थी जो अब तक सिर्फ शब्दों में बसी थी।

आरव ने धीरे से नैना के गीले बालों को पीछे किया, और उसकी गर्दन पर एक नर्म सा चुंबन दिया। नैना की साँसें तेज़ होने लगीं, और उसने खुद को उसके सीने से लगा लिया। दोनों के बीच एक गहराई से भरी खामोशी थी, जिसमें हर स्पर्श, हर हलकी आहट अपनी कहानी कह रही थी।

उस रात, सिर्फ जिस्म नहीं, दो आत्माएँ एक-दूसरे में लिपट गईं। कोई जल्दबाज़ी नहीं थी, बस एक-दूसरे को समझने, महसूस करने और अपनाने की तलब थी। जैसे बरसों से अधूरी थी ये मोहब्बत, और अब जाकर मुकम्मल हो रही थी।

सुबह की पहली किरण खिड़की से झाँकी, और नैना ने हल्के से मुस्कराते हुए कहा,
"शायद अब मुझे मुंबई से प्यार हो गया है..."

आरव ने उसकी आँखों में देखा और बोला,
"या शायद मुझसे..."

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